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Raksha Bandhan 2024:कब है रक्षाबंधन जान ले क्या है राखी बांधने का शुभ मूहर्त

 Raksha Bandhan 2024::कब है रक्षाबंधन जान ले क्या है राखी बांधने का शुभ मूहर्त..




Raksha Bandhan2024: 

रक्षाबंधन भाई बहन के अटूट प्रेम का त्यौहार है जो प्रतिवाद श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी रक्षा का वचन लेती है और भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं यह त्यौहार भाई बहन के बीच उसने विश्राम और बंधन को मजबूत करता है राखी बांधने के साथ मिठाई है बैठी जाती है और घर में उत्सव का माहौल होता हैरक्षाबंधन सिर्फ एक त्यौहार मात्रा नहीं है यह भाइयों और बहनों के बीच के संबंध को मजबूत करने का एक बहुत खूबसूरत जरिया भी हैरक्षाबंधन से जुड़े एक खास बात बहुत कम लोगों को मालूम होता है कि भद्रा काल में राखी बांध नहीं बांधनी चाहिए शास्त्र मुहूर्त शास्त्र में भद्राकाल को अशुभ माना गया है ऐसे में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त जानना बहुत जरूरी होता है इसलिए लिए इस लेख में जानते हैं कि इस साल सावन मार्च की पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन किस दिन पड़ रहा है साथ ही यह भी जानेंगे कि भद्राकाल कब समाप्त हो रहे हैं और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है|

 रक्षाबंधन तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाएगा और सर कल के लिखे तो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 19 अगस्त 2024 को रक्षाबंधन मनाया जाएगा शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शुरुआत 19 अगस्त को 3:04 शुरू होगा और इसका समापन 19 अगस्त को मध्य रात्रि 11:55 पर समाप्त होगा|

 राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:30 से रात्रि 9:07 तक रहेगा कुल मिलाकर शुभ मुहूर्त 7 घंटे 37 मिनट काहोगा

 भद्रा काल


 भद्राकाल - पूर्णिमा तिथि के प्रारंभ के साथ भद्रक की शुरुआत

 भद्रकाली की समाप्ति- 19 अगस्त 2024 का दोपहर 1:30 पर

भद्रमुख19 अगस्त कोप्रातः10:53 से दोपहर 12:35

भद्र पूछ19 अगस्त को प्रातः9:51 सेप्रातः 10:53

भद्रा काल में नहीं बांधी जाते हैं राखी


 भद्रा काल को शुभ नहीं माना जाता मान्यताओं के अनुसार दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है जिसमें राखी बांधना भी शामिल है राखी बांधना एक पवित्र कार्य और शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए भद्राकाल में राखी बांधने से भाई बहन के रिश्ते में तनाव आ सकता है और मनोकामना पूरी नहीं हो सकती है ऐसे रक्षाबंधन का त्योहार  करते समय भद्रा काल का ध्यान रखना चाहिए और राखी केवल शुभ मुहूर्त में ही  बाधनी चाहिए




 कौन है भद्र

पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन हुआ तो वह जन्म लेने के फौरन बाद ही पूरे सृष्टि को अपना दीवाना बनाने लगी थी इस तरह से भादरा के कारण जहां भी शुभ और मांगलिक कार्य योग और अनुष्ठान होते हैं वहां समस्याएं आने लगते हैं इस कारण से जब ब्रदर लगती है तब किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है वैदिक ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा अतिथि की शुरुआत आधा हिस्सा भद्राकाल होता है यही वजह है कि रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया होने के कारण राखी नहीं बांधी जाती है|

 ज्योतिष में भद्रा काल का महत्व

 ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा की राशि से भादरा का वास्तव किया जाता है गणना के मुताबिक चंद्रमा जब कुंभ राशिफल सिंह राशि या मीन राशि में होता है तब दादा पृथ्वी पर निवास करके मनुष्य को आसक्ति पहुंचती है वही मिथुन राशिमेष राशि वृषभ राशि और बेसिक राशि में जब चंद्रमा रहता है तब ब्रदर स्वर्ग लोक में रहती है अब देवताओं के कार्यों में विधान डालती है जब चंद्रमा धनु राशि कन्या राशि तुला राशि मकर राशि में होता है तो भद्रक आवास पाताल लोक होता हैभद्र जी भी लोक में रहती है वही प्रभाव भी रहती है |

डिस्क्लेमर :  इस लेख में दी गईकिसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता  की गारंटी नहीं है विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषीय पंचांग मान्यतओं  या फिर धर्म ग्रंथो से संग्रहित कर यह जानकारियां आप तक पहुंचाई गई है हमारा उद्देश्य  महज  सूचना पहुंचना है इसके सही और सिद्ध होने  प्रमाणिकता नहीं दे सकते हैं इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ  से सलाह जरूर ले | 

 

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