Jaya Parvati Vrat 2024 : जाने जया पार्वती महत्व और पूजा विधि और तिथि ..
Jaya Parvati Vrat 2024 : जाने जया पार्वती महत्व और पूजा विधि और तिथि ..
जया पार्वती व्रत{ Jaya Paravati Vrat ]
जया पार्वती व्रत माता पार्वती को समर्पित है सुहागन स्त्रियां इस व्रत को रखकर माता से अपना सुहाग अखंड होने की कामना करती हैं और कुंवारी कन्याएं व्रत सौभाग्य वर पाने के लिए रखते हैं जरा पार्वती व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से प्रारंभ होकर कृष्ण पक्ष की तृतीया पर समाप्त होता है जया पार्वती व्रत देवी जया को समर्पित है एक महत्वपूर्ण उपवास दिवस है देवी जया देवी पार्वती के विभिन्न रूपों में से एक है जया पार्वती व्रत मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है जया पार्वती व्रत अविवाहित लड़कियों के साथ-साथ विवाहित महिलाएं भी रखती है अविवाहित लड़कियां सहयोग भर पानी के लिए क्या पार्वती व्रत रख और विवाहित महिलाएन अपने सुखी वैभव की जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं
जया पार्वती व्रत पूजा विधि { Jaya Parvati Vrat Puja Vidhi }
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाए इसके बारिश ना नदी कार्यों से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेव्रत के पहले दिन एक पत्र में गेहूं के दाने को बोकर पूजा के स्थान पर रख दें और अगले 5 दिनों तक ज्वार के पत्र में जल अक्षर पुष्प होली और उनकी माला चढ़ाई हुई से बनी इस मामाके हर को नगला के नाम से जाना जाता है जी कुमकुम से सजाया जाता है इस दिन भगवान शिव औरमाता पार्वती की पूजा का विधान है इसलिए घर के मंदिर में एक आसन पर लाल कपड़ा बेचकर माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा को स्थापित करें
इसके बाद भगवान के समक्ष दीप जलाएं और व्रत का संकल्प ले अब शिव पार्वती जी को कुमकुम कस्तूरी और फूल नारियल रितु फालतू अर्पित करें फातिमा पार्वती को सुहाग की सामग्री अगर आपने बालू यह रे हाथी का निर्माण किया है तो उसे पर पांच प्रकार के फल फूल और प्रसाद अवश्य चढ़ाएं इसके बाद व्रत कथा का पाठ करें और फिर माता पार्वती और भगवान शिव जी की आरती उतारे आखिर में माता पार्वती का ध्यान करते हुए सुख सौभाग्य और ग्रह शांति की कामना करें और अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे व्रत के पांचवें दिन आप सुबह स्नान करके माता पार्वती भगवान शिवऔर ज्वार पत्र की पूजा करें और रात्रि में भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें अगले दिन रेट के हाथी और ज्वार के पौधों को किसी पर भी नदिया तलाब में विसर्जित करें इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कर और उन्हें दान दक्षिणा देने के पश्चात हरी सब्जी तथा गेहूं से बने रोटियां से व्रत का पालन करें
जया पार्वती व्रत का महत्व {jaya Parvati Vrat Of Importance ]
जया पार्वती व्रत का आरंभ आसान मार्च के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से होता है जय पार्वती व्रत को विजय पार्वती व्रत के नाम से भी जाना जाता है यह वृद्धि विवाहित महिलाओं और अविवाहित महिलाओं के लिए आते महत्वपूर्ण माना गया इस व्रत को सुखी जीवन की कामना से करती है वहीं महिला इस व्रत का योग की प्राप्ति के लिए करती है इसे करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है यह व्रत भक्तों की माता पार्वती के लिए हंसी माता का प्रतीक हैसाथी यह व्रत महिलाओं की शक्तियां समर्पण को भी दर्शाता है दरअसल जय पार्वती व्रत एक प्रकार की साधना की इसकी आबादी 5 दिनों की होती है इस व्रत का उद्यापन 5 वर्ष 9 वर्ष 11 वर्ष या फिर 20 साल के बाद किया जाता है यह पर मुख्य गुजरात में मनाया जाता है इस दौरान वहां का वातावरण भक्ति में हो जाता है उपवास के आखिर दिन स्त्री या जागरण करती है वह पूरी रात भजन कीर्तन करते हुए मां की आराधना में ध्यान को जया पार्वती जागरण के नाम से जाना जाता है
इन बातों का रखें ध्यान { Keep TheseThings In Mind }
आप इस व्रत के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कारण और साठ दान पुण्य भी अवश्य कर इन पांच दिनों में माता पार्वती का स्मरण करते हुए भजन कीर्तन करें और मंदिर जाकर उनके दर्शन कर इसके अलावा अगर संभव हो तो व्रत के आखिर दिन पंच कन्याओं को भोजन करवा आपको बता दे इस व्रत में नमक खाना वर्जित है इसके अलावा इन 5 दिनों के उपवास की आबादी के दौरान अनाज तथा सभी प्रकार की सब्जियों को अभी ग्रहण नहीं किया जाता है
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